Hazrat Hasan ibn ali razi
हज़रत हसन इब्न अली रज़ि की विलादत (पैदाइश) 15 रमज़ान व 3 हिजरी को मदीना मुनावरा में हुई उस वक़्त मुसलमान जंगों में मुब्तिला थे । आप ख़िलाफ़त ए राशिदा के पांचवें ख़लीफ़ा भी थे।
Hazrat Hasan ibn ali razi |
आप के लिए अल्लाह के रसूल अलैहिस्सलाम ने कई मक़ामातों पर आपकी फ़ज़ीलत के बारे में फ़रमाया इसके मुतअल्लिक़ कुछ चंद अहादीस आपके पेशे नज़र की जा रही हैं :-
अल्लाह के रसूल (अलैहिस्सलाम) मिंबर पर तशरीफ़ फ़रमा थे और हसन (रज़ि०) आप के पहलु में थे आप कभी लोगों की तरफ़ देखते होते और फिर हसन (रज़ि०) की तरफ और फ़रमाते मेरा यह बेटा सरदार हैं और उमीद हैं के अल्लाह ताअला इस के ज़रिए मुसलमानों की दो जमाअत में सुलह करायेगा।
( बुख़ारी 3746 )
अल्लाह के रसूल अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया हज़रत हसन रज़ि व हज़रत हुसैन रज़ि यह दोनों जन्नत के नोजवानों के सरदार हैं
(तिर्मिज़ी 3781)
हज़रत अनस रज़ि ने कहाँ हज़रत हसन रज़ि से ज़्यादा कोई शख़्स अल्लाह के रसूल अलैहिस्सलाम से ज़्यादा मुशाबे (मिलता झूलता) नहीं था
(मिश्क़त 6146)
हज़रत हसन इब्न अली रज़ि ने कहाँ
मैंने अल्लाह के रसूल अलैहस्सलाम का एक फ़रमान याद कर रखा हैं ، उस चीज़ को छोड़ दो जो तुम्हें शक़ में डाले और उसे इख़्तियार करों जो तुम्हें शक़ में ना डाले सच्चाई दिल को मुत्मइन करती हैं , और झूठ दिल को बेक़रार करता और शक़ में मुब्तिला करता हैं
(तिर्मिज़ी 2518)
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