ईसा अलैहिस्सलाम की बन्दगी
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ईसा ने कहा था कि “अल्लाह मेरा रब भी है और तुम्हारा रब भी तो तुम उसकी बन्दगी करो। यही सीधी राह है।
(क़ुरआन : 19,36)
"शीराज़ा हुवा मिल्लत - ए - मरहूम का अबतर
अब तू ही बता , तेरा मुसलमान किधर जाये"
( अल्लामा इक़बाल )
रचनात्मक तस्वीर |
ईसा अलैहिस्सलाम की सीरत के बारे में ऐसे बहुत से वाकिआत मिलते हैं जिनसे उनकी ज़िन्दगी के बारे में पता चलता है के उन्होंने अपनी ज़िन्दगी कैसे गुज़ारी थी किन परेशानियों और आज़माइश से गुज़रे और उन्होंने आज़माइश के बावजूद अपने मक़सद को कभी भी तर्क नहीं किया।
जब आप दुनिया मे तशरीफ़ लाये उस वक़्त दुनिया शदीद जहालियत मे मुब्तिला थी। ब्याज़ ,शराब नोशी , और दीग़र बुराइयां उनका उड़ना बिझोना बन गया था।
जैसे जैसे ईसा अलैहिस्सलाम बड़े होते गए वैसे वैसे लोग उन्हें एक नेक और सच्चा इंसान मानने लगे और जो अल्लाह ने उन्हें मुजुज़ाअत दिए थे उससे लोगों की ख़िदमत अंजाम देते रहें।
ईसा अलैहिस्सलाम पर वो वक़्त भी आ गया जो हर नबी और रसूल के सामने आता हैं।
जब तक ईसा अलैहिस्सलाम यहूदियों के कारोबार के ताअल्लुक से उन्हें
बा आसानी से समझा रहें थे तो वो उनकी बात सिर्फ सुन लिया करते थे पर अमल नही किया करते थे। जब यहूदियों ने आसानी से नहीं समझा तो उन्होंने सख़्ती से उनके बड़े यहूदी आलिमों को ब्याज़ और शराब नोशी दीग़र बुराइयों से रुका और उनके लेन देन में अल्लाह का जो निज़ाम हैं उस तरीके से करने को कहाँ तो वो बिल्ग़ उठे और ईसा अलैहिस्सलाम को बहुत अज़ीयत पहूँचाई और उन पर तोहमतें लगाना शुरू कर दि। ईसा अलैहिस्सलाम इन परेशानियों के बावजूद अपने मक़सद और दावते दीन से पीछे नहीं हटे थे।
यहूदी वो ही लोग थे जो पहले ईसा अलैहिस्सलाम को नेक और सच्चा इंसान मानते थे
नोट :-
अल्लाह अहले ईमान (मुसलमान) की आज़माइश लेता रहता है
जैसे ईसा अलैहिस्सलाम और तमाम पैग़म्बरों ने अल्लाह के हुक्म को पूरा करते रहें और मुश्किलों के बावजूद अल्लाह की आज़माइश पर पूरे उतरे और अल्लाह की बन्दगी करते रहे
उस ही तरह आज के दौर में हम सब अहले ईमान (मुसलमान) को ऐसी आज़माइश से भी गुज़रना होगा जिस तरह ईसा अलैहिस्सलाम को गुज़रना पड़ा था ,हमें भी अल्लाह के हुक़्म को और दावते दीन को हर हाल में पूरा करना ही होगा जब ही उम्मत ए मुहम्मदिया फलह (कामियाबी)पा सकती हैं।
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