मौला अली (रज़ि.अ) का यौम ए शहादत
21 रमज़ान 40 हि० हज़रत अली (रज़ि.अ) का यौम ए शहादत है, वो जाबाज़ सहाबी ए रसूल (अलैहिस्सलाम) थे जिनको ख़्वारीजी अब्दुर्रहमान इब्ने मुल्जिम ने कूफ़ा शहर में शहीद किया,
Hazrat Ali ibn Abu Talib رضي الله عنه |
हज़रत अली (रज़ि.अ) बचपन से ही अल्लाह के रसूल (अलैहिस्सलाम) की तरबियत में रहे और हिजरत के वक़्त अल्लाह के रसूल (अलैहिस्सलाम) अपनी जगह हज़रत अली (रज़ि.अ) छोड़ कर गए, और बाद में आपने पैदल मदीना हिज़रत की,
गज़वा ए बदर में आपने तकरीबन 24 सरदाराने मक्का को वासिले जहन्नम किया,
उहद के मौके पर जब रसूल (अलैहिस्सलाम) के दाँत शहीद हुए और आप पर ग़शी तारी हुई तब भी हज़रत अली (रज़ि.अ) आपके पास मौजूद रहे, और आपके ज़ख्म को धोते थे,
आप हर महाज़ पर आगे बढ़चढ़ कर हिस्सा लेते चाहे वो बदर का मैदान हो या उहद का मुश्किल तरीन वक़्त, ख़न्दक़ की जंग हो या ख़ैबर की आप हर जगह सफ़े अव्व्ल में खड़े नज़र आते हैं।
यहाँ तक कि रसूल (अलैहिस्सलाम) की वफ़ात के वक़्त तदफीन में भी आप आखिर तक मसरूफ़ रहे,
आपकी इस्लाम के लिए बहुत क़ुरबानिया हैं,
आपकी अल्लाह के रसूल (अलैहिस्सलाम) से मुहब्बत पढ़ने और अमल करने के क़ाबिल है-
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अहमद इब्ने हम्बल (रह०) बयान करते है
की हम तक जितनी भी हदीसे नबी (अलैहिस्सलाम) की पहुची है, किसी भी शख़्सियत की शान में इतनी हदीसे नही है जितनी हज़रत अली (रज़ि.अ) की शान में बयान हुई है
(अल मुस्तदरक़ अल हाकिम 4572)
कुछ अहदीस मुलाहिज़ा फ़रमाए
(1) आपके लिए अल्लाह के रसूल (अलैहिस्सलाम) ने फ़रमाया अली (रज़ि.अ) तुझसे मुहब्बत करेगा सिर्फ मोमिन और तुझसे बुग़ज़ रखेगा सिर्फ़ मुनाफ़िक़
(मुस्लिम 240)
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(2) गज़वा ए तबूक के मौके पर रसूल (अलैहिस्सलाम) ने हज़रत अली (रज़ि.अ) से फ़रमाया तुम्हारा मेरे साथ वही मक़ाम है जो हारून (अलैहिस्सलाम) को मूसा (अलैहिस्सलाम) से साथ था पर यह कि मेरे बाद कोई नबी नही है,
(बुख़ारी 3706) (मुस्लिम 6217)
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ग़ज़वा ए ख़ैबर में रसूल (अलैहिस्सलाम) ने फरमाया वो यानी अली (रज़ि.अ) अल्लाह और रसूल (अलैहिस्सलाम) से मुहब्बत करता हैं, और अल्लाह और उसका रसूल (अलैहिस्सलाम) उससे मुहब्बत करते है
(बुख़ारी 3701) (मुस्लिम 6223)
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एक जगह रसूल (अलैहिस्सलाम) ने फ़रमाया जिसका मौला (दिली महबूब) मै उसका मौला (दिली महबूब) अली (रज़ि.अ) है
(तिर्मिज़ी 3713)
इसी हदीस की रोशनी में आपका लक़ब मौला है
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अल्लाह तआला हमे रसूल (अलैहिस्सलाम) और अहले बैत से मुहब्बत करने वालो में शरीक करें
और आख़िरत में उनका साथ नसीब फ़रमाये,
आमीन
माशाअल्लाह बहुत ही इल्मी तहरीर है,
ReplyDeleteमौला अलि
Beshak
ReplyDeleteJazakaAllah
Masha Allah
ReplyDeleteJazakaAllah
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