तख़्त ए बिल्किस और हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम) | HISTORYMEANING

तख़्त ए बिल्किस और हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम)

 तख़्त ए बिल्किस और हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम)


बनी इसराइल की तारीख़ में हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम) एक अलग ही शक़्सियत हैं


तख़्त ए बिल्किस


कुरआन की सुरह सबा में बताया गया है के अल्लाह ताअला ने सुलैमान (अलैहिस्सलाम) के लिए हवा , जीन्नत और परिंदे व जानवरों को इनके हुकु़म का ताबे कर दिया था और अल्लाह ने इनको जानवरों की ज़बान भी सीखा दी थी जिससे हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम) उन पर भी हुकु़मत कर सके

सुरहे सबा में आया है के जब हज़रत सुुलैमान (अलैहिस्सलाम) एक दीवार की तामीर करा रहे थे जीन्नों से, तो वो एक कुर्सी पर लाठी के सहारे बैठे थे और अल्लाह ताअला ने उनकी रूह वहीं कब्ज़ कर ली पर इस बात का जीन्नो को मालूम नहीं था के हज़रत सुुलेमान (अलैहिस्सलाम ) फोत हो गए है और कुरआन में आया है के उनकी लाठी को दिमग चाट गई जब जाके जीन्नों को पता चला के हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम) फोत हो गए है

 

 हज़रत सुलैमान अलैहिस्सलाम ने एक दुआ मांगी थी अल्लाह से के मुझे एक ऐसी हुकु़मत दे जो तो किसी और को ना दे उनकी दुआ क़बूल भी हुई और आज तक उनकी जैसी हुकुमत किसी और को नहीं मिली है (क़ुरआन,सुलह नमल)


क़ुरआन मजीद की सुरह नमल  की 15 से 44 तक की आयतों में एक तख़्त का ज़िक्र हुआ है जिसे लोग बिल्कि़स के तख़्त के नाम से जानते और सुनते है पर कुरआन मजीद बिल्किस नाम नहीं बताता वो तो मलिका ए सबा जो कौम ऐ सबा यमन में थी के नाम से वाक़्य बयान करता है और यह वाक़्य हदीस की किताब बुखा़री में भी मौजूद है 


यह वाक़्य इस तरह शुरू होता है के हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम) अपने दरबार में परिंदो के साथ गुफ़्तगू कर रहे थे और उन्होंने कहां के में फाला हुदहुद (जो एक परिंदा था) को नहीं देख रहा हूं मेरे दरबार की मजलिस में वो कहा गा़यब हो गया है इसके साथ में यह भी बोले की मैं हुदहुद अपनी ग़रहाज़री की सही और बहुत ही ज़रूरी मजबूरी बयान ना की तो में उसे सजा दूंगा या उसे क़त्ल कर वा दूंगा बस कुछ ही देर में हुदहुद आ जाता है और हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम) पूछते है के बताओ और वो अपनी मजबूरी बयान करता है 

  

बोलता है के में ऐसी ख़बर लेकर आया हूं जो आपके भी इल्म में नहीं थी तो हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम) बोले के क्या ख़बर ले के आए हो बोला के में एक ऐसी क़ौम के पास से आया हूं जिनकी हुक़्मरान एक औरत है जिसका बहुत बड़ा एक तख़्त है जिस पर वो और उसके दरबारी बैठ थे है


आज के ज़माने में हम उसे देख सकते है जिसकी चौड़ाई 50 फिट है और लम्बाई 100 फिट हैं और उचाई में 50 फिट ऊंचा है जो पत्थर से बना हुआ है और हुदहुद उनको यह भी बताता है के शैतान ने उनके बुरे आलम उनके नज़र में बेहतर बना दिए है और वो अल्लाह को छोड़ कर सूरज की पूजा करते हैं और पूजने के लायक़ तो सिर्फ अल्लाह ही है उसकी सारी बात सुनके हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम) जो अल्लाह के पैग़म्बर है वो बोलते है के में तेरी बात की तसदिक़ करूंगा के तू सच कह रहा है या कहीं झुठ तो बहाना नहीं कर रहा है

हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम) ने मकिला ए सबा के लिए एक ख़त लिखा और हुदहुद को बोलते है के मलिका ए बिल्किस को यह ख़त दे के थोड़ा पीछे हट कर देखना के उसका क्या रद्दे अमल होता है और हुदहुद उसके कमरे में ख़त डाल देता हैं वो सुलैमान अलैहिस्सलाम का ख़त खौल के पढ़ना शुरू करती है उस में दो लाइन में बात लिखी थी।


यह हज़रत सुलैमान की तरफ़ से है और अल्लाह रहमान और रहीम के नाम से शुरू किया गया है । मेरे मुकाबले में सरक़शी ना करों और मुस्लिम फरमांबरदर होकर मेरे पास हाज़िर हो जाओ  ( क़ुरआन , सुरह नमल)

 

मलिका ए सबा जब ख़त को पढ़ने के बाद दरबार के लोगो से बोलती है के मेरे पास एक अज़ीम ख़त आया है जो हाज़रत सुुलैमान (अलैहिस्सलाम) की जानिब से है और उसमें कुछ ऐसी बात लिखी है तो मुझे मशवरा दीजिए क्योंकि में तुम्हारे मशवरा के बिना कोई काम नहीं करती हूं दरबार के लोग बोले के हम आपके साथ है और आप हमे हुकुम दीजिए हम उनसे जंग कर सकते है पर मलिका को यह मालूम होता है के यह ख़त और ख़त लिखने वाला दोनों ही गै़रमामुली शक़्स नहीं है इनसे जंग करना बेवकूफी होगी और मलिका दरबार के लोगों से बोलती है और 

उसके अल्फ़ाज़ अल्लाह ताअला ने कुरआन में यूका यूंही बयान करें है 


बादशाह जब किसी देश में घुसते है तो उसे ख़राब और उसके इज्ज़तवालों को बेइज़्जत कर देते है यही कुछ वो किया करते है (क़ुरआन , सूरह नमल )


जैसे हम देखते है के जब हिन्दुस्तान में अंग्रेज़ आए तो सबसे पहले उन्होंने मुग़लों को ही बेइज़्जत किया था क्योंकि उनकी नसलो में से हुकुमत करने का जुनून ख़त्म हो जाए


और मलिका बोलती है के हम इस काम में जल्दी नहीं करते है में हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम) को कुछ तोफे भेजती हूं के पता चले के इसके बदले उनका क्या रददे अमल होता है और पता चल जाएगा के वो दुनियावी बादशाह है या सच्ची में ही वो अल्लाह का ही पैग़म्बर बादशाह है 

मलिका अपने एलची के साथ बड़े बड़े तोफे हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम) को भेजती है और जब वो एलची हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम) के पास पहुंचता है बड़े बड़े तोफे लेकर तो हाज़रत सुुलैमान (अलैहिस्सलाम) तुरन्त एलची से बोलते है जो तुम मुझे देना चाहते हो मुझे तो अल्लाह ने इससे भी बड़ी हुकूमत दे रखी है जो तुम्हारी दुनिया क्या दे सकती उसके मुकाबले में और एलची से बोलते है के जाओ यहां से और बोल देना के अब हम एक ऐसा लश्क़र लेकर आयेगे जिससे लड़ने की हिम्मत तुम्हारे जंगजू नहीं रखते और न ही तुम्हारा लश्कर रख सकता है अब तुम इंतिजार करों हमारा ,बस वो एलची तो वहां से चला जाता है लेकिन हज़रत सुुुलैमान (अलैहिस्सलाम) को मालूम होता है के वो मुती होकर यहां जरूर आएगी


और यह फासला 2000 किमी का था यरुशलम से यमन तक और इस फासले को पूरा करने में 50 से 60 दिन लग सकते है


जब एलची मलिका को वहां का सरा मंज़र बयान करता है तो मलिका बोलती है के मैं ख़ुद अब वहां जाऊंगी और जैसे उनके ख़त में लिखा था के मुती (फरमांबरदार) होकर मेरे पास हाज़िर हो जाओ इस बात को कुछ अरसे बीत जाता है और जब। मलिका के लश्क़र के आने के तीन या चार दिन रह जाते है तो हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम) आपनी मजलिस में बैठ होते है हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम) आपने दरबरियों से बोलते है वो मलिका बिल्किस मेरे पास मूती (फरमांबरदार) होकर आने वाली है फिर वो एक गुफ़्तगू करते है जिसमे तख़्त ए बिल्किस का ज़िक्र होता है


हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम) बोलते है के ए मेरे दरबारियों तुम में से कौन है जो उसका तख्त़ मेरे पास लयेगा इससे पहले कि वे लोग मुति (फरमांबरदार) बनकर मेरे पास हाज़िर हो


जिन्नों में से एक ताक़तवर और लम्बा चौडे ने कहां में उसे हाज़िर कर दूंगा के आपकी मजलिस ख़त्म होने से पहले पहले वो तख़्त यहां पर लादूंगा में यह ताक़त रखता हूं और अमनादार हूं 


पर हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम) इस बात पर कुछ नहीं बोलते और वहीं पर एक शख़्स होता है यह इंसान है या कोई जिन्न क़ुरआन इस पर कुछ नहीं बोलता है और वो जिसके पास किताब का इल्म था वो बोले में आपकी पालक झपकने से पहले उसे यहां पर ला देता हूं ज्यों ही की हज़रत  सुलैमान अलैहिस्सलाम ने वो तख़्त आपने पास रखा हुआ देखा वो पुकार उठे ये मेरे रब की ही मेहरबानी है ताकि वो मुझे आज़माएं के में उसका शुक्र करता हूं या नाशुक्रा बान जाता हूं    (क़ुरआन , सूरह नमल)

  

आगे आया है के हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम) ने कहां के इसकी शक़्ल डिज़ाइन बदल दो में देखूंगा के वो अपने तख़्त को पहचानती है या नहीं फिर वो मलिका वहां आ पहुंचती है हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम) ख़ैर मक़दम करते है और उससे पूछते है के तुम्हारा इस तख़्त के ताल्लुक़ से क्या कहना है और वो बोलती है के यह मेरा तख़्त है या मेरे जैसा तख़्त है फिर बाद में हज़रत सुलैमान (अलैहिस्सलाम) उसे अपने क़िले के कुछ दूसरे हिस्से में ले जाते है उसे एक फर्श दिखाते है जो ऐसा लग रहा था के शीशे जैसा कोई तालाब हो वो आपने पाईचे उपर करती है और जब उसे पता चलता है के वह एक फर्श है तो वो चौक उठती है बोल देती है 


ए मेरे रब में अपने आपपर बड़ा जु़ल्म करती रही और अब मैने सुलैमान (अलैहिस्सलाम) के साथ सारे जहां के रब अल्लाह ताअला की फरमांबरदार क़बूल करती हूं    (क़ुरआन , सुरह नमल)



   



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Milan Tomic

Hi. I’m Designer of Blog Magic. I’m CEO/Founder of ThemeXpose. I’m Creative Art Director, Web Designer, UI/UX Designer, Interaction Designer, Industrial Designer, Web Developer, Business Enthusiast, StartUp Enthusiast, Speaker, Writer and Photographer. Inspired to make things looks better.

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2 comments:

  1. MashaAllah
    Jazak'Allahu Khairan.😊
    इतनी बेहतरीन इंफॉर्मेशन हम तक पहचाने के लिए शुक्रिया.

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