मक़सद ए ज़ुलक़रनैन | HISTORYMEANING

मक़सद ए ज़ुलक़रनैन

 मक़सद ए ज़ुलक़रनैन


ज़ुलक़रनैन के वो तीन बड़े मक़सद






ज़ुलक़रनैन के ताल्लुक़ से क़ुरआन मजीद और बाईबल में भी ज़ुलक़रनैन का ज़िक्र मिलता है उनकी हुक़ूमत 
मशरिक़ (पुर्व) से लेकर मग़रिब (पश्चिम)  तक थी और किस तरह उन्होंने लोगो को ज़ुल्म से निकाल कर चेन सुकून 
दिया उनकी हुक़ूमत करने का तरीका क़ुरआन मजीद में  सुरह कहफ़ (18 : 83 ,100) में साफ़ तरह से बयान किया गया है।

इस मामले में पुराने ज़माने से लेकर अब तक इख़्तिलाफ़ रहा है कि ये ' जुलक़रनैन ' जिसका यहाँ ज़िक्र हो रहा है , कौन थे। पुराने ज़माने में आम तौर से तफ़सीर लिखने वालों का झुकाव सिकन्दर की तरफ़ था , लेकिन कुरआन में उसकी जो खूबियाँ और खुसूसीयतें बयान की गई हैं वो मुश्किल ही से सिकन्दर पर चस्पाँ होती हैं । नए ज़माने में तारीख़ी (ऐतिहासिक ) जानकारियों की बुनियाद पर तफ़सीर लिखनेवालों का झुकाव ज़्यादातर ईरान के बादशाह खूरस (  खुसरो या साइरस ) की तरफ़ है , और ये खयाल दूसरों के मुकाबले ज़्यादा सही लगता है,
मगर बहरहाल अभी तक यक़ीन के साथ किसी शख़्स के बारे में नहीं कहा जा सकता कि वो जुलकरनैन थे। और क़ुरआन मजीद की तफ़सीर लिखने वाले उनके चार वो तरीके जिन्हें उन्होंने आपने ज़िन्दगी के मक़सद बना लिया था।

तौहीद और आख़िरत पर तवज्जों करना

जब उन्होंने वो दीवार बनाई और उस क़ौम को याजुज और माजुज से उनकी हिफ़ाज़त कर उन्होंने अपने नाम के डंके नहीं बजाए उनके लोगो ने उनके नाम का गुण गान गाना शुरू नहीं किया , बल्के ज़ुलक़रनैन ने आजज़ी के साथ कहां
यह सब मेरे रब की रहमत है यह मज़बूत दीवार जिसे बना कर तुम्हे महफूज़ किया है यह मेरा कारनामा नहीं है यह मेरे रब की रहमत हैं

यानी अगरचे मैंने अपनी हद तक इन्तिहाई मज़बूत दीवार बनाई है , मगर ये हमेशा रहनेवाली नहीं है। जब तक अल्लाह की मर्जी है , ये कायम रहेगी , और जब वो वक़्त आएगा जो अल्लाह ने उसकी तबाही के लिये तय कर रखा है तो फिर इसको टुकड़े - टुकड़े होने से कोई चीज़ न बचा सकेगी । वादे का वक़्त ' के कई मतलब हैं । इससे मुराद इस दीवार की तबाही का वक़्त भी है और वो घड़ी भी जो अल्लाह ने हर चीज़ की मौत और फ़ना के लिये तय कर दी है यानी क़ियामत इससे मालूम होता है के ज़ुलक़रनैन का पहला मक़सद दावत ए दीन था।


ज़ुल्म के ख़िलाफ़ हमेशा खड़े रहना



जो इनमें से ज़ुल्म करेगा हम उसको सज़ा देंगे । फिर वे अपने रब की तरफ़ पलटाया जाएगा और वे उसे और ज़्यादा सख़्त अज़ाब देगा यानी ज़ुल्म का ख़त्मा करेगे ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करना और ज़ुल्म को जड़ से ख़त्म करने का जज़्बा  उन्होंने आपने अंदर पैदा किया और पहले ख़ुद को लोगो पर ज़ुल्म करने से रोका जब जंगली क़ौम ने ज़ुलक़रनैन से कहा के हमारी हिफ़ाज़त करे हम आपको ख़ूब माल (टैक्स) देंगे तो ज़ुलक़रनैन ने कहां
बादशाह होने की हैसियत से मेरा ये फ़र्ज़ है कि अपनी प्रजा को लूटमार करनेवालों के हमलों से बचाऊँ । इस काम के लिये तुमपर कोई अलग टैक्स लगाना मेरे लिये जाइज़ नहीं है । देश का जो ख़ज़ाना अल्लाह ने मेरे हवाले किया है , वे इस काम के लिये काफ़ी है । अलबत्ता हाथ - पाँव की मेहनत से तुमको मेरी मदद करनी होगी । इस बात से यह साफ हो जाता है के किस तरह  ज़ुलक़रनैन बादशाह होने के बाद भी लोगो पर ज़ुल्म  नहीं कर रहे है वो तो ज़ुल्म से उनकी मदद कर रहे है बल्के उनके अंदर ज़ुल्म के ख़िलाफ़ आवाज़ बुलंद करने को भी आमादा कर रहे है


इंसानियत की ख़िदमत करना


ज़ुलक़रनैन के मक़सदों में एक मक़सद  इंसानियत का सच्चा दर्द महसूस करना था मजबूर , परेशान हाल इंसानों की ख़िदमत करना उनके मसाईल का हल बनना यह उनके मक़सद  मिशन का सबसे ज़रूरी हिस्सा था 
आप देखते है के वो बहुत लंबा सफ़र करके एक ऐसी क़ौम के पास पुहचे  जिससे उनका कोई ताल्लुक़ नहीं था , ना कोई नस्ल का रिश्ता था , ना कोई क़ौम का रिश्ता था,  बल्के वो तो उनकी ज़बान भी नहीं जानते थे। पर  क़ुरआन मजीद बताता है के जब उस अजनबी क़ौम ने अपना मसला  बयान किया के  हमारे यहां पर पहाड़ के पीछे से याजूज - माजुज आ जाते है और यहां पर तबाही मचा कर चले जाते हैं , हम बड़े ही परेशान हैं, हमारी ज़िंदगी ही अजीरन है यह सब सुनने के बाद ज़ुलक़रनैन फौरन ही उठ खड़े हुए और अपनी दानिशमंदी से, अपने साथी के साथ से और अच्छे  इंतिजाम से एक ऐसी पुख़्ता दीवार बना डाली और उस क़ौम कि परेशानी को हमेशा हमेशा के लिए ख़त्म कर दिया   लोगो के दर्द को महसूस करना उनके मसले का हल बनना यह ज़ुलक़रनैनी किरदार के मक़सद थे।


(क़ुरआन)


जो बात को ग़ौर से सुनते हैं और उसके बेहतरीन पहलू की पैरवी करते हैं। ये वे लोग हैं जिनको अल्लाह तआला ने हिदायत दी है और यही अक़लमन्द हैं।
सूरह : (39 : 18)


 
नोट:- हम  हिन्दुस्तान के मुसलमानों  को जुलकरनैन की ज़िंदगी के मक़सदों को पढ़ना और समझना चाहिए जैसे क़ुरआन उनके बारे में बयान करता है , उन्हें फॉलो करना चाहिए....




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Milan Tomic

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