तातारी मंगोल एक बुज़ुर्ग | HISTORYMEANING

तातारी मंगोल एक बुज़ुर्ग

ततारियों की तारीख़ और एक बुज़ुर्ग का दिलचाज़ब वक़्या

TATAARI AUR EK BUZURG


हैं अयां योरिश ए ततार के अफ़साने से
पसबां मिल गए  काबे को सनम ख़ाने से....


ततारी और एक बुज़ुर्ग
चंगेज खान का साम्राज्य

चंगेज़ खान 

तेमूचिन  जो बाद में चंगेज़ खान के नाम से मशहूर हुआ , खासुल खान का पड़पोता था , जिसने लगभग़ 12 वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में मंगोल खानाबदोश जाति की राजव्यवस्था स्थापित की थी । हालाँकि इन मंगोलों में भी उनकी सभी उपशाखाएँ शामिल नहीं थीं । तेमूचिन के पिता एशूगई बहादुर अपनी उपशाखा का मुखिया था । लेकिन उसकी मृत्यु के पश्चात उसके परिवार को बेहद गरीबी और दुःख का सामना करना पड़ा । ऐसी ही कठिन परिस्थितियों में तेमूचिन ने धीरे - धीरे अपनी शक्ति और सत्ता का निर्माण किया जो उन सबके लिए खतरे का स्रोत साबित हुई जिन्होंने उसके परिवार को अकेला और बहिष्कृत छोड़ दिया था । यह सत्ता उन जातियों के लिए भी खतरे का स्रोत थी जिन्होंने तेमुचिन की उन्नति को एक अन्य मंगोल राज्य कायम करने की दिशा में एक बढ़ा हुआ कदम माना था ।

मंगोल आक्रमण और उसका प्रभाव

 13 वीं और 14 वीं शताब्दियों का मंगोल साम्राज्य दुनिया का एकमात्र ऐसा खानाबदोश सम्राज्य  माना जाता है , जो चंगेज खान के नेतृत्व में केवल एक पीढ़ी के अर्से में स्थापित हुआ था । यह साम्राज्य हिंदुस्तान और एशियाई महाद्वीप के दक्षिण - पूर्वी हिस्से को छोड़ कर , मध्य पूर्व और मध्य एशिया से लेकर पूर्वी यूरोप तथा चीन तक फैला हुआ था । विश्व इतिहास में यह अकेला ऐसा खानाबदोश साम्राज्य था जिसने एशिया के हरे - भरे आंतरिक मैदानों ( स्तेपियों ) और उनके साथ लगे हुए निस्पंद रेगिस्तानी इलाकों को एक साथ सफलतापूर्वक अपने कब्जे में रखा हुआ था । मंगोल साम्राज्य ख्वारिज्म साम्राज्य के भौतिक और प्राकृतिक साधनों के विनाश और अरब खिलाफत की समाप्ति की दिशा में शुरुआत का सूचक था । इसके साथ ही यह साम्राज्य दिल्ली सल्तनत के सुल्तान इल्तुतमिश के लिए एक ऐसे नए शत्रु के आने का संकेत भी था , जो उनके किसी भी अन्य बाहरी या आंतरिक शत्रु की तुलना में कहीं ज्यादा शक्तिशाली , विनाशकारी और आक्रामक था ।
चंगेज खान मुस्लिम नहीं था गैर मुस्लिम था ख़ान शब्द यही से मुसलमानों में आया था और जब तातारियों ने इस्लाम क़ुबूल करा तो ख़ान शब्द ज़्यादा प्रचलन में आया हरात एक बहुत बड़ा शहर था।  ईरान अफ़गानिस्तान का पूरा हिस्सा , वहां पर चंगेज खान ने दुनिया का सबसे बड़ा  कत्ले आम  किया था  एक दिन के अंदर दो लाख लोगो को कत्ल किया था। और बाद में उसके पोते हलाकु ने बग़दाद में  कब्ज़ा कर के ईट से ईट बजा डाली लोगो को जला दिया,  वहां के आख़री 37वें अब्बासी ख़लीफ़ा  (मुस्तआसिम बिल्लाह)   को कालीन में लपेट कर पीट-पीट कर मर डाला।

ततारी और बुज़ुर्ग का एक बड़ा मशहूर वक़्या है


चंगेज़ दरबार

एक बार एक बुज़ुर्ग कहीं जा रहे थे वह पर चंगेजीयों का इलाका था  वो बुज़ुर्ग एक ऐसे इलाके में चले गए जो ततारी बादशाह का महफुज़ इलाका ( आरक्षित क्षेत्र ) था। सिपाही पकड़ के शहज़ादे  (बर्के ख़ाँ ) के पास लाए
शहज़ादा बोला के कैसे आ गए मेरे इलाके में बुज़ुर्ग बोले मुझे माफ़ कर दीजिए मुझे पता नहीं था के आप का यह महफुज़ इलाका है वो ततारी आपने कुत्ते को गोश्त खिला रहा था और बुज़ुर्ग से बोला के तु अच्छा है , या मेरा कुत्ता अच्छा हैं उन बुज़ुर्ग ने बड़ी निहायत  इत्मीनान से जवाब दिया, अगर में अपने रब को नहीं पहेचानता  उसका बाग़ी होता नाफ़रमान होता तो यह कुत्ता मेरे से बेहतर होता लेकिन ख़ुद का शुक्र है में अपने रब को पहेचानता हूं ,जनता हूं , उसकी बंदगी करता हूं , उसकी इबादत करता हूं  चूंकि यह सुरते हाल है इसलिए में कुत्ते से बेहेतर हूं  शहज़ादा मुतासिर हुआ और बोला के बड़ी बहादुरी से जवाब दे रहे हो बहुत हिम्मत वाला बना दिया है तुम्हारे दीन ने तुम्हे , हा बड़ी खूबियां है तुम्हारे दीन में हा में भी इस्लाम को पसंद करता हूं, लेकिन में अभी सिर्फ यहां का शहरज़ादा हूं बादशाह नहीं हूं जब में यहां का हुक़्मरान बन जाऊं तब आना, कुछ अरसे बाद शहरज़ादे को बादशहत मिली तो वो बुज़ुर्ग वहां आए तो  वहां मुख़्तलिफ़ पहेरे दरिया है क़िले बंदिया हैं क्या करे बिचारे उन्होंने सोचा और ज़ोर से अज़ान देने लग गए बादशाह ने अज़ान कि आवाज़ सुनी तो उन बुज़ुर्ग को क़िले में बुलवाया और बुज़ुर्ग बोले में वहीं शख्स़ हूं  जब आप अपने कुत्ते को गोश्त खिला रहे थे  बादशाह पहेचान गया और आपना किया हुआ वादा पूरा किया इस्लाम को दिल से कुबूला  करा ऐसे बहुत से जगह से इस्लाम चंगेज के वंश में आया इसी तरह तुर्क कौन है मुग़ल कौन है मंगोल की नस्ल में से ही यह सब वंश निकले हैं ।

हैं अयां योरिश ए ततार के अफ़साने से
पसबां मिल गए  काबे को सनम ख़ाने से....

                                                  (अल्लामा इक़बाल)

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Milan Tomic

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