सल्तनत_ए_उस्मानिया_27_जुलाई_1399_ई०
अर्तगुल_ग़ाज़ी (13.वी सदी) के अनोतोलिया_के_तुर्की के त़ारिख़ से माख़ुस एक अज़िमो शान दास्तान हैं i ईमान, इंसाफ और मोहब्बत की रोशनाई से लिखी एक बहादुर_जंगजू की कहानी । जिसने अपनी साबित क़ादमी और जुर्रत से ना सिर्फ अपने क़ाबिले बल्के त़माम अलमे इस्लाम की त़कद़ीर बदल डाली। वो उस तुरको के ख़ाना बदोश काई क़ाबिले को एक ऐसे वतन कि तलाश थी जहां उनकी नस्ले परवान चड़ सके। काई क़ाबिले के सरदार सुलेमान_शाह के बेटे अर्तगुल ग़ाज़ी ने इस्लाम की सर बुलंदी के ख़ातिर अपनी जान ओ माल और अज़िज़ों आक़ाबिर को ख़तरे में डाल कर आपने जंगजू के साथ मुख़्तलिफ़ अदवार में सलेबियो और मंगोलों , सलजुक_सल्तनत में मौजूद ग़द्दारों और दीग़र इस्लाम दुश्मनों अनासिर को शिकस्त दी (1280.ई०) में अर्तगुल की वफात के बाद। उसके बेटे उस्मान ने अज़ीम सल्तनत की दाग़ बेल डाली और यू (27 जुलाई 1399. ई०) से लेकर ख़ाना बदोशो के क़ाबिले ने तीन बररे आज़मो पे छे सौ साल तक हुक़ूमत की। उसी को ही अंग्रेज़ी में ओटोमन_एम्पायर कहां जाता हैं।
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